Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -27-Nov-2021 - आवरण



आवरण तुम प्रकृति का बना रहने दो, 
आचरण अपने व्यवहार में सदा रहने दो ,
चिंता की लकीरों को हमारी चेहरे की ,
हंसी के परदे से तुम ढका रहने दो |
 
पशु पक्षियों का जीवन छोड़ो ,
जीभ के चटकारो को छोड़ो ,
घर तुम्हारा बनाने को सुंदर ,
जीवो की छाल उतारना छोड़ो |

व्याकरण जो जीवन का तुम लगाओगे , 
मोल प्रकृति का क्या चुका पाओगे? 
हवा ,पानी सारी चीजें मूल्यवान होती, 
पेड़ ना होंगे तो छांँव कहांँ से लाओगे |

चोट जब तन की सह सकते नहीं, 
मन पर बोझ अपने ढो सकते नहीं, 
प्रकृति में भी तो होती यहांँ जान है, 
फिर क्यों हम उसे बचा सकते नहीं   |

पेड़ों पर वार जब हम करेंगे , 
वो यहां कट कट कर मरेंगे ,
जान वो तो गवां जाएंगे अपनी,
 जीवन अपना हम हार जाएंगे |

बचा सकते हो तुम पर्यावरण यहांँ, 
ना करो अनशन तुम आमरण यहांँ, 
दृढ़ निश्चय कर ठान लो मन में,
 जिंदगी में इच्छा करो प्रबल यहांँ |

सच मानो चिंता आधी तुम्हारी हो जाएगी , 
मुस्कान सच्ची चेहरे पर लौट आएगी ,
प्रकृति को खिलखिलाता, चमचमाता देख ,
आंखों को छटा मन को बहुत लुभाएगी ||

प्रतियोगिता हेतु

शिखा अरोरा (दिल्ली) 

   7
6 Comments

Priyanka Rani

28-Nov-2021 09:33 PM

Nyc

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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

27-Nov-2021 11:07 PM

Wah

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N.ksahu0007@writer

27-Nov-2021 06:16 PM

बहुत खूबसूरत लाज़वाब

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Shikha Arora

27-Nov-2021 11:06 PM

धन्यवाद जी🙏🙏

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